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Daily Voice: ऑटो स्टॉक महंगे तो हैं लेकिन अभी भी इनमें ग्रोथ की बहुत ज्यादा संभावनाएं बाकी- वॉलफोर्ट पीएमएस के विजय भराडिया

वॉलफोर्ट पीएमएस के विजय भराडिया ने कहा कि त्योहारी सीजन कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी कंपनियों,ज्वेलरी शेयरों और टूरिज्म से संबंधित सेक्टरों के लिए अच्छा रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऑटो स्टॉक महंगे तो हैं लेकिन अभी भी इनमें ग्रोथ की बहुत ज्यादा संभावनाएं बाकी हैं


विजय भारडिया ने कहा कि वे पेंट सेक्टर पर न्यूट्रल हैं क्योंकि इस सेक्टर में ग्रासिम और जेएसडब्ल्यू जैसे नए खिलाड़ियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इससे एशियन पेंट्स जैसी कंपनियों की प्राइसिंग पावर कम हुई है


वॉलफोर्ट पीएमएस के विजय भारडिया का मानना है कि कई ऑटोमोबाइल स्टॉक का वैल्यूएशन महंगा हो गया है। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने कहा, "लेकिन अभी भी इनमें बहुत ग्रोथ होनी बाकी है क्योंकि हम अभी भी कई देशों की तुलना में बहुत कम फोर व्हीलर वाहन बेचते हैं।" विजय भारडिया के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट निश्चित रूप से बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है क्योंकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी बड़े पैमाने पर नहीं बना है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल इंजन वाहनों में ऑटो सेक्टर की मांग कुछ और सालों तक जारी रहेगी। जब ईवी इंफ्रा का बड़े स्तर पर निर्माण नहीं हो जाता या बैटरी स्टोरेज सिस्टम में कुछ क्रांति नहीं हो जाती, तब तक पेट्रोल और डीजल इंजन वाहनों को कोई बड़ा खतरा नहीं है।


उनका मानना है कि त्योहारी सीजन कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी कंपनियों, ज्वेलरी शेयरों और टूरिज्म से संबंधित सेक्टरों के लिए अच्छा रहेगा। लेकिन हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए इन बातों का असर अब तक शेयरों के भाव में दिख चुका है। इसलिए, त्योहारी सीजन की उम्मीद के आधार पर तेजी की उम्मीद करना तब तक संभव नहीं है जब तक कि इस कंपनियों की आय में बड़ा बदलाव न हो।

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दूसरी तिमाही के नतीजों पर बात करते हुए विजय भारडिया ने कहा कि दूसरी तिमाही में नतीजों में दूसरे नकारात्मक बातों से ज़्यादा चिंता की बात सभी शेयरों की कीमतों में अस्वाभाविक उछाल है। कभी अर्निंग उस गति से नहीं बढ़ सकती है जिस गति से शेयरों की कीमतें बढ़ी हैं। यही परेशानी की सबसे बड़ी वजह है। इसके अलावा, बारिश ने भी कई सेक्टरों के लिए दिक्कतें पहुंचाई हैं। बारिश के चलते दूसरी तिमाही में इंफ्रा सेक्टर का काम धीमा हो गया।

क्या इक्विटी बाजार वैश्विक कारकों की तुलना में मुद्रास्फीति और कॉर्पोरेट आय के बारे में अधिक चिंतित है? इसके जवाब में विजय ने कहा लंबी अवधि में इक्विटी बाजार अर्निंग के मुताबिक ही चलते हैं। ऐसे में शॉर्ट टर्म में दूसरे कारक ज्यादा अहम हो सकते हैं। लेकिन लॉन्ग टर्म में कंपनीयों के अर्निंग सबसे महत्वपूर्ण कारक होगी जो स्टॉक कीमतों को बढ़ाती है। अगर महंगाई नियंत्रण में नहीं रहती है तो निश्चित रूप से कई सेक्टरों की अर्निंग पर दबाव देखने को मिल सकता है। क्योंकि बढ़ती महंगाई के चलते ब्याज दरें बढ़ जाती हैं।

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इस पर विजय भारडिया ने कहा कि वे पेंट सेक्टर पर न्यूट्रल हैं क्योंकि इस सेक्टर में ग्रासिम और जेएसडब्ल्यू जैसे नए खिलाड़ियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इससे एशियन पेंट्स जैसी कंपनियों की प्राइसिंग पावर कम हुई है। इससे आय पर भी निगेटिव असर पड़ने की संभावना है। दूसरी ओर, कच्चे तेल की कम कीमतें कच्चे माल के मोर्चे पर पेंट कंपनियों की मदद कर रही हैं। जिस तरह से रियल एस्टेट विकास और शहरीकरण हो रहा है उसको देखते हुए लगता है कि जिन पेंट स्टॉक के पास अच्छा वितरण नेटवर्क है वे आगे चलकर अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

डिस्क्लेमरः मनीकंट्रोल. कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

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